शहीद भगत सिंह
शहीद भगत सिंह- युवाओ के प्रेरणा स्त्रोत
शहीद भगत सिंह ने अपनी 5वीं तक की पढाई गांव में की और उसके बाद उनके पिता किशन सिंह ने दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल, लाहौर में उनका दाखिला करवाया। बहुत ही छोटी उम्र में भगत सिंह, महात्मा गांधी जी के असहयोग आन्दोलन से जुड़ गए और बहुत ही बहादुरी से उन्होंने ब्रिटिश सेना को ललकारा। दोनों लाहौर में स्थित थे । उन्होंने युवावस्था में ही भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करना शुरू कर दिया और जल्द ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों का समर्थन करने वाले पंजाबी और उर्दू भाषा के समाचार पत्रों के लिए अमृतसर में एक लेखक और संपादक के रूप में भी काम किया । उन्हें "इंकलाब जिंदाबाद" ("क्रांति लंबे समय तक जीवित रहें") वाक्यांश को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है।
- भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Biography)
- जन्म 28 सितंबर 1907
- जन्मस्थान पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में
- मृत्यु 23 मार्च 1931
- मृत्युस्थल लाहौर, पंजाब (अब पाकिस्तान में)
- मृत्यु का कारण फांसी
- मृत्यु के समय आयु 23 वर्ष
- उपनाम भाग्यवान (भगोवाला), शहीद-ए-आजम
- पिता सरदार किशन सिंह (गदर पार्टी के सदस्य)
भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। स्वतंत्रता संग्राम में कई भारतीय वीर सपूत शामिल हुए। कुछ ने बापू के बताए मार्ग को अपनाते हुए अहिंसा के पथ पर आजादी की राह चुनी तो कुछ अंग्रेजों से आंख पर आंख मिलाकर उनके खिलाफ खड़े हो गए।
इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह थे, जिनका जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ था। भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर आजादी की मांग की आवाज को हर देशवासी के कान तक पहुंचा दिया। जेल में अंग्रेजी हुकूमत की प्रताड़ना झेलने के बाद भी भगत सिंह ने आजादी की मांग को जारी रखा।
अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुनाई लेकिन तय तारीख से एक दिन पहले यानी 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी थी। आज शहीद क्रांतिकारी भगत सिंह की जयंती है।
"ब्रिटिश हुकूमत के लिए मरा हुआ भगत सिंह जीवित भगतसिंह से ज़्यादा खतरनाक होगा।"
-भगत सिंह
देश की आजादी के लिए हँसते-हँसते फाँसी पर झूलने वाले भगत सिंह जी के सर्वोच्च बलिदान से पूरे भारत में स्वाधीनता की लहर और प्रचंड हो गयी।
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